Wednesday, August 3, 2016

देव बाबु की सॉर्ट फिल्म 15 अगस्त के शुभ अवसर पर प्रदर्शित होगी

 नमस्कार भाइयो ,सुपर एक्टर एंड डायरेक्टर देव बाबु के कुशल निर्देशन 

में 2 सॉर्ट फिल्म "हेलमेट" और "एक नारी सात बलात्कारी " जो 15 

अगस्त के शुभ अवसर पर प्रदर्शित होगी फिल्म जो की सामाजिक मुद्दे

पर बनी फिल्म है 15 अगस्त पर हमारे तरफ से देश को समर्पित है इस 

दोनों फिल्म का निर्माण आई० डी० यादव  किया है 


Sunday, June 5, 2016

देखिए गणित के भगवान कहे जाने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह का क्या हाल है?

 आज जानिए बिहार के एसे गणितज्ञ के बारे में जिनका लोहा पूरी अमेरिका मानती है। इन्होंने कई ऐसे रिसर्च किए, जिनका अध्ययन आज भी अमेरिकी छात्र कर रहे हैं। जो NASA से IIT तक अपनी प्रतिभा से सबको चौका दियें।  मगर वह आज अपने ही देश और राज्य में गुमनामी का जिन्दगी जी रहे है।  मानसिक बीमारी सीजोफ्रेनिया से ग्रसित हैं। इसके बावजूद वे मैथ के फॉर्मूलों को सॉल्व करते रहते हैं। इनका हालत देख आपके आँखें भी नम हो जाएंगी। 

बिहार के वसिष्ठ नारायण सिंह जी कोई गणित का भगवान कहता है तो कोई जादूगर। एक जमाना था जब इनका नाम गणित के क्षेत्र में पूरी दुनिया में गूंजता था मगर आज बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले महान गणितज्ञ डा. वशिष्ठ नारायण सिंह वर्षों से सीजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी की वजह से कुछ भी कर पाने में असमर्थ हैं।  इसमें कोई सक नहीं की अगर वह आज ठीक होते तो अभी तक गणित का  इनको नोवेल प्राईज जरुर मिल गया होता।


डा वशिष्ठ नारायण सिंह ने न सिर्फ आइंस्टिन के सिद्धांत E=MC2 को चैलेंज किया, बल्कि मैथ में रेयरेस्ट जीनियस कहा जाने वाला गौस की थ्योरी को भी उन्होंने चैलेंज किया था।
ऐसा कहा जाता है कि अपोलो मिशन के दौरान डा सिंह नासा में मौजूद थे, तभी गिनती करने वाले कम्प्यूटर में खराबी आ गई। ऐसे में कहा जाता है कि डा वशिष्ठ नारायण सिंह ने उंगलियों पर गिनती शुरू कर दी। बाद में साथी वैज्ञानिकों ने उनकी गिनती को सही माना था।
अमेरिका में पढ़ने का न्योता जब डा वशिष्ठ नारायण सिंह को मिला तो उन्होंने ग्रेजुएशन के तीन साल के कोर्स को महज एक साल में पूरा कर लिया था।

2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपूर जिले के बसंतपुर गाँव में जन्मे महान गणितज्ञ “डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह” की प्राइमरी और सेकेंडरी की स्कूली शिक्षा नेतरहाट विद्यालय से हुई.
पटना साइंस कॉलेज ने प्रथम वर्ष में ही उन्हें B Sc (Hons) की परीक्षा देने की अनुमति दे दी. 1969 में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, बर्कली से Reproducing Kernels and Operators with a Cyclic Vector विषय पर PhD की उपाधि मिलने के बाद डॉ वशिष्ठ नारायण NASA के Associate Scientist Professor पद पर आसीन हुए. 1971 में उनकी शादी हुई परन्तु कुछ ही वर्षों बाद बीमारी की वजह से वे अपनी पत्नी से अलग हो गए.
1972 में भारत वापस आकर IIT कानपुर ,TIFR मुंबई, और ISI कलकत्ता के लेक्चरर बने. 1977 में मानसिक बीमारी “सीजोफ्रेनिया” से ग्रसित हुए जिसके इलाज के लिए उन्हें रांची के कांके मानसिक अस्पताल में भरती होना पड़ा. 1988 ई. में कांके अस्पताल में सही इलाज के आभाव में बिना किसी को बताए कहीं चले गए. 1992 ई. में सिवान,बिहार में दयनीय स्थिति में डॉ वशिष्ठ नारायण को लोगों ने पहचाना.


एक बूढ़े आदमी हाथ में पेंसिल लेकर यूंही पूरे घर में चक्कर काट रहे हैं. कभी अख़बार, कभी कॉपी, कभी दीवार, कभी घर की रेलिंग, जहां भी उनका मन करता, वहां कुछ लिखते, कुछ बुदबुदाते हुए.
घर वाले उन्हें देखते रहते हैं, कभी आंखों में आंसू तो कभी चेहरे पर मुस्कराहट ओढ़े.
यह 70 साल का ‘पगला सा’ आदमी अपने जवानी में ‘वैज्ञानिक जी’ के नाम से मशहूर था.

पटना में उनके साथ रह रहे भाई अयोध्या सिंह बताते है, “अमरीका से वह अपने साथ 10 बक्से किताबें लाए थे, जिन्हें वह आज भी पढ़ते हैं. बाकी किसी छोटे बच्चे की तरह ही उनके लिए तीन-चार दिन में एक बार कॉपी, पेंसिल लानी पड़ती है.

इनका यह हालत देख बहुत दुख होता।  बिहार और देश का नाम पूरी दुनिया में रौशन करने वाले का अपने ही देश में यह हाल देखा नहीं जाता।

Saturday, June 4, 2016

डॉयलॉग किंग देव बाबू with मधेपुरा मैगज़ीन

नमस्कार दोस्तों ,आज हमारे साथ जो हस्ती है वो किसी परिचय के मोहताज नहीं है आज डॉयलॉग किंग   देव बाबू (देव राज ) ने मधेपुरा मैगज़ीन के साथ अपनी फिल्म और अपने बारे में खुल के बात की है। ...............................

आप ने अपना नाम देव राज से देव बाबू कर लिए ?

जी हाँ ,प्यार से लोग मुझे बाबू कहते है और मैं महेश बाबू का बहुत बड़ा फैन हु तो  मैंने नाम में बाबू जोड़ दिया 



आप ने अपना करियर कब शुरू किया ?

2005 में मुंबई गया वहाँ मॉडलिंग किया उसके बाद एक गवर्मेन्ट जॉब करने लगा अब एक फिल्म फगवा कर रहा हु

जिसमे मुख्या भूमिका में हु दो -तीन और फिल्म है फगवा काफी अच्छी फिल्म है इसमें ड्रामा ,कॉमेडी ,एक्शन ,रोमांस सब कुछ है 

आप रवि एच कश्यप के दीवाने है  

जी है ,मैं रवि कश्यप का दीवाना हु वो वो बहुत अच्छे इंसान है  वो हमेशा पब्लिक को ध्यान में रखकर फिल्में बनाते वो जो फिल्म बनाते है उसमे नयापन होता है वो बहुत क्रिएटिव मैन है हर बार कुछ कुछ न कुछ नयापन लाते रहते है उनकी फिल्में लार्जर दैन लाइफ होती है वो पब्लिक ,सिनेमा ,कलाकार को एक सूत्र में बांध के रखते है अगर ईश्वर ने चाहा और पब्लिक का आशीर्वाद रहा तो जरूर उनके निर्देशन में काम करेंगे  

आपकी बॉडी काफी अच्छी है 

थैंक्स ,बॉडी मैंने घर पर ही बनाया है एकदम देशी तरीकों से 


आपने दो सॉर्ट फिल्म भी बनायीं  

जी हा ,दो सॉर्ट फिल्म मैंने बनायीं है कई नए कलाकारों को मौका भी दिया है मेरी इच्छा है की जिस गॉव में आज तक शूटिंग नहीं हुई है जहां के लोग नहीं जानते है शूटिंग कैसे होती है क्योंकि जब कोई बूढ़े महिला पकड़ कर कहती है की " आज तक हम नहीं जानते थे शूटिंग कैसे होती है तुमने मरने से पहले मुझे दिखा दिया तो बहुत ही ख़ुशी होती है लगता है सिनेमाघर में लगने से पहले लोग के दिल में हिट हो गई।" सॉर्ट फिल्म के कई फायदे है जो हम तीन घंटे की फिल्म से संदेश नहीं दे पाते है वो हम सॉर्ट फिल्म की तुलना में कुछ ही मिनट में दे सकते है और नई कलाकारों की टैलेंट को सामने लाते है 

सॉर्ट फिल्म की शूटिंग पर 


तो कब रिलीज़ कर रहे है सॉर्ट फिल्म 

जल्द ही जून के दूसरे साप्ताह के अंदर यूट्यूब ,फेसबुक इत्यादि पर डाल दिया जायेगा इसका लेखन-निर्देशन मैंने ही किया है इसमें नए -पुराने कलाकार है बालकृष्ण शर्मा ,भुवन सोनी ,मोहन सिंह ,इत्यादि है 


आपकी आनेवाली  फिल्म के बारे में कुछ बताये 

कोशी पुत्र के निर्माता के साथ फिल्म "मिला देब माटी में कर रहे है "और एक फिल्म का लेखन मैंने ही किया है जिसमे मेरे साथ मुकेश अवस्थी ,बालकृष्ण शर्मा इत्यादि है 

आप किसे अपना आदर्श मानते है 

अमिताभ बच्चन को मैं अपना आदर्श मानता हुँ 

मैं कुछ सवाल पूछता हुँ उसका जबाब एक वाक्य में दीजिये 
फगवा का पोस्टर 

आपका पसंदीदा एक्टर (बॉलीवुड )-  अक्षय कुमार 


आपका पसंदीदा एक्टर (भोजपुरी )- दिनेश लाल यादव 


आपका पसंदीदा निर्देशक (बॉलीवुड )- रोहित शेट्टी 


आपका पसंदीदा निर्देशक (भोजपुरी )- रवि एच कश्यप 


आपका पसंदीदा गायक (बॉलीवुड )- मोहम्म्द अज़ीज़ 



आपका पसंदीदा गायक (भोजपुरी  ) पवन सिंह 


आपका पसंदीदा हीरोइन (बॉलीवुड )-माधुरी दीक्षित 


आपका पसंदीदा हीरोइन (भोजपुरी  )-अक्षरा सिंह 


बेस्ट कॉमिक पंच -(बॉलीवुड )-कपिल शर्मा 

बेस्ट कॉमिक पंच (भोजपुरी )- खेसारी लाल यादव 



Thursday, June 2, 2016

जहरीला की शूटिंग जल्द ही होगी स्टार्ट

दोस्तों ,इंतजार अब खत्म होने वाला है ,जी हाँ हम बात कर रहे है जहरीला की जहरीला की शूटिंग जल्द ही स्टार्ट होगी ये जानकारी दी है फिल्म के डायरेक्टर रवि एचo कश्यप ने ,रवि कश्यप ने अपने फेसबुक अकाउंट से यह जानकारी दी उन्होंने लिखा है अपने पोस्ट में 

"मेरे भाई लोग कैसे हो?काम करने की जूनून में टाइम नही मिल रहा था,पर था आप सभी के आस पास ही ।ज़हरीला का पूरा प्री प्रोडक्शन का काम पूरा हो गया है।अब डेट कंफर्म होकर शूट करना है।और CPI movies की फ़िल्म की स्क्रिप्ट चल रहा है।बहुत अच्छा काम करने के लिए टाइम तो लगता ही है। जय हो।। "






Wednesday, June 1, 2016

नहीं रहे कॉमेडियन रज्जाक खान, बॉलीवुड में गोल्डन भाई के नाम से थे मशहूर



कॉमेडियन रज्जाक खान नहीं रहे। गोल्डन भाई के नाम से चर्चित रज्जाक को मंगलवार को हार्ट अटैक आया था। उनके दोस्त एक्टर शहजाद खान ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, "कार्डियक अरेस्ट के चलते मैंने अपने बड़े रज्जाक भाई को खो दिया है। उनके लिए प्रार्थना करें।" बता दें कि रज्जाक ने सलमान, गोविंदा और शाहरुख खान के साथ कई कॉमेडी फिल्में की थीं। आखिरी बार उन्हें 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में देखा गया था। बांद्रा के हॉस्पिटल में ली आखिरी सांस...
- dainikbhaskar.com ने रज्जाक के फैमिली मेंबर्स से बात की। उन्होंने बताया कि बांद्रा, मुंबई के होली फैमिली हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली।
- मंगलवार दोपहर करीब 12.30 बजे उन्हें हार्ट अटैक आया था। इसके बाद से वे हॉस्पिटल में थे।
- उनके बेटे असद खान अभी क्रोएशिया में हैं। उनके आने का इंतजार किया जा रहा हैं। इसके बाद गुरुवार को शाम 4 बजे रज्जाक को नारियलवाड़ी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
बॉलीवुड में खास थी रज्जाक की जगह
- रज्जाक का नाम बॉलीवुड के फेमस कॉमेडियन्स में लिया जाता है।
- उन्होंने शाहरुख खान स्टारर 'बादशाह' (किरदार : माणिकचंद), सलमान खान स्टारर 'हैलो ब्रदर' (किरदार : निंजा चाचा) और गोविंदा स्टारर 'अंखियों से गोली मारे' (किरदार : टक्कर पहलवान) जैसी कई फिल्मों में काम किया है।

Sunday, May 29, 2016

Wednesday, May 4, 2016

फिल्म शूटिंग के दौरान इन गैजेट्स और टेक्नोलॉजी का होता है इस्तेमाल




 फिल्मों दर्शकों के मनोरंजन के लिए बनाई जाती हैं। फिल्म में हीरो-हीरोइन के साथ डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और फिल्म से जुड़ी टीम शामिल होती है। ये टीम अपनी कई महीनों की मेहनत के बाद एक ऐसी फिल्म बनाती है, जो आपका मनोरंजन कर सके। कई बार को फिल्म के निर्माण में सालों लग जाते हैं। दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए बनाई गई इन फिल्मों में कैमरा, लाइट, माइक के साथ स्पेशल इफेक्ट्स का भी अहम रोल होता है।
मधेपुरा मैगज़ीन  अपनी 'मूवी टेक' सीरीज में आज आपको फिल्मों से जुड़ी टेक्नोलॉजी के साथ इस्तेमाल होने वाले गैजेट्स और स्पेशल इफेक्ट्स के बारे में बताने जा रहा है। जिनमें कैमरा, लाइट, इफेक्ट्स, एडिटिंग सॉफ्टवेयर सबकुछ शामिल है।
कैमरा :
किसी फिल्म को बनाने के लिए सबसे पहले एक कैमरा की जरूरत होती है। कैमरे की मदद से फिल्म को शूट किया जात है। कभी इंडस्ट्री में ब्लैक एंड व्हाइट कैमरा का इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि, अब 5K (5120×2880 पिक्सल रेजोल्यूशन) वाले कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है। इन कैमरे से शूट होने वाली फिल्में फुल HD क्वालिटी से भी बेहतर होती हैं।

साल 1910 में फिल्म की शूटिंग के लिए Aeroscope कैमरे का इस्तेमाल किया गया था। ये हाथ में पकड़ने वाला पहला कैमरा था। इसके बाद धीरे-धीरे कैमरे की टेक्नोलॉजी बदलती चली गई। अब फिल्मों के लिए डिजिटल मूवी कैमरे इस्तेमाल में लाए जाते हैं। इनमें ज्यादातर कैमरा Arri कंपनी के होते हैं। इसके साथ RED, Sony, JVC, Canon के कैमरे भी फिल्म शूटिंग में इस्तेमाल होते हैं।

फिल्म के शॉट्स को फिक्स फ्रेम में शूट करना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए कैमरा स्टैंड का इस्तेमाल किया जाता है। ये स्टैंड कई तरह के होते हैं। इनमें ट्रॉली स्टैंड, ट्रैक स्टैंड, ट्राइपॉड शामिल होते हैं।

 कैमरा स्टैंड :

ट्राइपॉड : ट्राइपॉड किसी भी कैमरे में सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाला स्टैंड है। इस स्टैंड पर कैमरा रखकर मूव किया जाता है, जिससे शॉट्स की क्वालिटी बेहतर होती है।
ट्रॉली स्टैंड : इस स्टैंड में कैमरे को लटकाकर या फिर ट्रॉली में कैमरामैन खुद बैठकर शूट करता है। ये किसी क्रेन के जैसा स्टैंड होता है, जिसमें कैमरामैन बैठकर हवा में मूव करता है और टॉप एंगल से फिल्म के लिए शॉट्स लेता है।
ट्रैक स्टैंड : ये स्टैंड रेल की पटरी की तरह होता है। इस पटरी को सीधा और घुमावदार बनाया जा सकता है। ये शॉट्स के ऊपर डिपेंड करता है।

ड्रोन कैमरा :
एक समय फिल्म के शॉट्स ज्यादा ऊपर से लेने के लिए हेलिकॉप्टर या किसी ऊंची बिल्डिंग का सहारा लिया जाता था, लेकिन अब ये काम ड्रोन कैमरे की मदद से किया जाता है। रिमोट से चलने वाला ये ड्रोन हवा में बहुत ऊंचाई तक उड़ सकता है। इतना ही नहीं, ड्रोन कैमरे की मदद से पहाड़ों के ऊपर, समुंदर के ऊपर, जंगल में आसानी से शॉट्स लिए जा सकते हैं। ऐसे में ड्रोन कैमरा अब फिल्मों में अहम रोल प्ले करने लगा है।

निगेटिव (रील) या मेमोरी :
फिल्मों शूट करने के दौरान कैमरे में रील (निगेटिव) का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, अब इसके लिए मेमोरी कार्ड, हार्ड डिस्क का इस्तेमाल भी होने लगा है। इन दिनों कैमरे एडवांस टेक्नोलॉजी के आते हैं, जिनमें मेमोरी के तौर पर हार्ड डिस्क की सुविधा होती है। किसी फिल्म के निर्माण के बाद उसकी कई रील तैयार की जाती हैं, जो दुनियाभर के थिएटर में भेजी जाती हैं।
कम्प्यूटर्स या लैपटॉप :
फिल्म की शूटिंग जब पूरी हो जाती है तब उसकी एडिटिंग की बारी आती है। इसके लिए हेवी कम्प्यूटर या लैपटॉप की जरूरत होती है। हालांकि, इस तरह के सिस्टम का कोई फिक्स पैमाना नहीं है, लेकिन हेवी प्रोसेसर और ज्यादा से ज्यादा रैम होना जरूरी होता है। इसके साथ, इस तरह के सिस्टम में ग्राफिक्स कार्ड का होना भी जरूरी है। सिस्टम में एडिटिंग का हेवी सॉफ्टवेयर होता है, जिस पर कई इफेक्ट्स भी डाले जाते हैं।
सॉफ्टवेयर :
किसी फिल्म में कई सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है। इसमें ग्राफिक्स के साथ स्पेशल इफेक्ट्स और कोई कैरेक्टर भी डिजाइन किया जाता है। Eyeon Fusion एक ऐसा ही पावरफुल नोड आधारित कम्पोजीशन सॉफ्टवेयर है। ये सॉफ्टवेयर फिल्मों, टेलीविजन, विज्ञापन, चिकित्सा, वास्तुकला में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से 3D एनिमेशन और VFX पर काम किया जाता है।
इन सॉफ्टवेयर पर भी होता है काम :
Autodesk 3dsmax
Autodesk Maya
ZBrush
Motion Builder
Stop Motion Pro
V-Ray
Adobe After Effects
Adobe Photoshop
Final Cut Pro
Adobe Premiere
Nuke
GameBryo

इफेक्ट्स :
विजुअल इफेक्ट्स (VFX) :
फिल्ममेकिंग के दौरान विजुअल इफेक्ट्स (VFX) से किसी सीन को पूरी तरह अलग कर दिया जाता है। यानी लाइव शूट के दौरान किसी छोटी चीज को बढ़ा बना देना या फिर कल्पना करके कुछ ऐसा दिखा देना जिस पर यकीन हो जाए। इसे Computer Generated Imagery (CGI) भी कहते हैं।
स्पेशल इफेक्ट्स (SFX) :
सीधे कहा जाए तो स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए दर्शकों को धोखा दिया जाता है। एक ऐसा सीन जो वास्तविक में नहीं फिल्माया गया, लेकिन फिल्म में दिखाया जा रहा है, तो वो स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए किया जाता है।